स्वामी विवेकानंद कोट्स | विवेकानंद कोट्स
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विवेकानंद कोट्स
जागें, उठें और न रुकें जब तक लक्ष्य तक न पहुंच जाए
हम ईश्वर को कहाँ पा सकते हैं अगर हम उसे अपने आप में और अन्य जीवों में नहीं देखते?
हमारे व्यक्तित्व की उत्पत्ति हमारे विचारों में है; इसलिए ध्यान रखें कि आप क्या विचारते हैं. शब्द गौण हैं. विचार मुख्य हैं; और उनका असर दूर तक होता है.
अकेले रहो, अकेले रहो। जो अकेला रहता है, उसका किसीसे विरोध नहीं होता, वह किसीकी शान्ति भंग नहीं करता, न दूसरा कोई उसकी शान्ति भंग करता है।
अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है.
आकांक्षा , अज्ञानता , और असमानता – यह बंधन की त्रिमूर्तियां हैं .
आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन महान नहीं बन सकता है|
आपदा ही एक ऐसी स्थिति है,जो हमारे जीवन कि गहराइयों में अन्तर्दृष्टि पैदा करती है|
इस दुनिया में सभी भेद-भाव किसी स्तर के हैं, ना कि प्रकार के, क्योंकि एकता ही सभी चीजों का रहस्य है.
ईर्ष्या तथा अंहकार को दूर कर दो — संगठित होकर दूसरों के लिए कार्य करना सीखो।
उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो , तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो , तुम तत्व नहीं हो , ना ही शरीर हो , तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के सेवक नहीं हो.
उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये
उस व्यक्ति ने अमरत्त्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता
एक विचार लो . उस विचार को अपना जीवन बना लो – उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो , उस विचार को जियो . अपने मस्तिष्क , मांसपेशियों , नसों , शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो , और बाकी सभी विचार को किनारे रख दो . यही सफल होने का तरीका है.
एक शब्द में, यह आदर्श है कि तुम परमात्मा हो.
एक समय में एक काम करो , और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ
कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है. ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है.अगर कोई पाप है, तो वो यही है; ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं.
स्वतंत्र होने की हिम्मत करो. तुम्हारे विचार तुम्हें जहाँ तक ले जाते हैं वहां तक जाने की हिम्मत करो,
और अपने विचारों को जीवन में उतारने की हिम्मत करो.
जो भी चीज तुम्हें कमजोर बनाती है, उन चीजों को जहर समझकर त्याग दो…. तभी तुम उन्नति कर पाओगे.
एक वक्त में एक हीं काम करो, और उस काम को करते समय अपना सब कुछ उसी में झोंक दो.
अपने बारे में तुम जैसा सोचते हो तुम वैसे हीं बन जाओगे. अगर तुम खुद को कमजोर सोचते हो ,
तो तुम कमजोर बन जाओगे; उसी तरह अगर तुम खुद को शक्तिशाली सोचोगे, तो तुम शक्तिशाली होते जाओगे.
चाहे सत्य को हजारों तरीकों से बताया जाए, लेकिन सत्य एक हीं होता है.
केवल वही व्यक्ति भगवान पर विश्वास नहीं करता है, जिसे खुद पर विश्वास नहीं होता है.
हम वैसे हीं बन जाते हैं जैसी हमारी सोच होती है. इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं.
कुछ सच्चे, ईमानदार और उर्जावान पुरुष तथा महिलाएँ 1 साल में हीं उससे ज्यादा काम कर देते हैं. जितना काम एक साधारण भीड़ 100 सालों में भी नहीं कर पाती है.
किसी से कुछ मत मांगिये, किसी से कोई अपेक्षा मत रखिए. चुपचाप अपने कार्य में लगे रहिए.
किसी भी वस्तु को खरीदा या छिना जा सकता है. लेकिन ज्ञान स्वाध्याय के जरिए हीं पाया जा सकता है, इसे न तो खरीदा जा सकता है और न किसी से छिना जा सकता है.
जिस व्यक्ति के साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी अकेला नहीं होता है.
स्वामी विवेकानंद के सर्वश्रेष्ठ विचार
किसी की निंदा ना करें. अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं.अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये.
किसी दिन , जब आपके सामने कोई समस्या ना आये – आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं .
कुछ मत पूछो , बदले में कुछ मत मांगो . जो देना है वो दो ; वो तुम तक वापस आएगा , पर उसके बारे में अभी मत सोचो
कुछ सच्चे , इमानदार और उर्जावान पुरुष और महिलाएं ; जितना कोई भीड़ एक सदी में कर सकती है उससे अधिक एक वर्ष में कर सकते हैं .
क्या संस्कृत पढ रहे हो? कितनी प्रगति होई है? आशा है कि प्रथम भाग तो अवश्य ही समाप्त कर चुके होगे। विशेष परिश्रम के साथ संस्कृत सीखो।
खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है .
गम्भीरता के साथ शिशु सरलता को मिलाओ। सबके साथ मेल से रहो। अहंकार के सब भाव छोड दो और साम्प्रदायिक विचारों को मन में न लाओ। व्यर्थ विवाद महापाप है।
जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते
जब तक जीना, तब तक सीखना’ — अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है |
जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएँ अपना जल समुद्र में मिला देती हैं ,उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग, चाहे अच्छा हो या बुरा भगवान तक जाता है.
जिस क्षण मैंने यह जान लिया कि भगवान हर एक मानव शरीर रुपी मंदिर में विराजमान हैं , जिस क्षण मैं हर व्यक्ति के सामने श्रद्धा से खड़ा हो गया और उसके भीतर भगवान को देखने लगा – उसी क्षण मैं बन्धनों से मुक्त हूँ , हर वो चीज जो बांधती है नष्ट हो गयी , और मैं स्वतंत्र हूँ .
जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता |
यह सोचना हीं सबसे बड़ा पाप है कि मैं निर्बल हूँ या दूसरे लोग कमजोर हैं.
अगर धन का उपयोग दूसरों की भलाई के लिए नहीं किया जाता है, तो धन बोझ बन जाता है.
और उस बोझ तले व्यक्ति दबता चला जाता है.
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक कि तुम अपने लक्ष्य को नहीं पा लेते हो.
जब तक जीवित हो तब तक अपने और दूसरों के अनुभवों से सीखते रहना चाहिए.
क्योंकि अनुभव सबसे बड़ा गुरु होता है.
ब्रम्हाण्ड की सारी शक्तियाँ पहले से हीं हमारे भीतर मौजूद हैं. हम हीं मूर्खता पूर्ण आचरण करते हैं, जो अपने हाथों से अपनी आँखों को ढंक लेते हैं….. और फिर चिल्लाते हैं कि चारों तरफ अँधेरा है, कुछ नजर नहीं आ रहा है.
निरंतर सीखते रहना हीं जीवन है और रुक जाना हीं मृत्यु है.
ठोकरें खाने के बाद हीं अच्छे चरित्र का निर्माण होता है.
लोग तुम्हारी प्रशंसा करें या आलोचना, तुम्हारे पास धन हो या नहीं हो, तुम्हारी मृत्यु आज हो या बड़े समय बाद हो, तुम्हें पथभ्रष्ट कभी नहीं होना चाहिए.
दुर्बलता को न तो आश्रय दो और न तो दुर्बलता को बढ़ावा दो.
जो सच है उसे लोगों से बिना डरे कहो, धीरे-धीरे लोग सच्चाई को स्वीकार करने लगेंगे.
जो लोग इसी जन्म में मुक्ति पाना चाहते हैं, उन्हें एक हीं जन्म में हजारों वर्षों का कर्म करना पड़ेगा.
एक विचार को पकड़ना. उसी विचार को अपना जीवन बना लेना. उसी के बारे में सोचना, उसी के सपने देखना, उसी विचार को जीना. अपने दिमाग, मांसपेशियों, और शरीर के हर हिस्से को उसी विचार में डूब जाने देना, और बाकी सभी विचारों को किनारे रख देना. यही सफल होने का तरीका है, यही सफलता का सूत्र है.
निर्भय व्यक्ति हीं कुछ कर सकता है, डर-डर कर चलने वाले लोग कुछ नहीं कर सकते हैं. किसी भी चीज से डरो मत. तभी तुम अद्भुत काम कर सकोगे . निडर हुए बिना जीवन का आनंद नहीं लिया जा सकता है.
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